बंगाल की बाउल संगीत परंपरा: साधना, सुर और सूफ़ियाना रूहानियत
“मनुष्य, तू क्यों भटक रहा है? अपने भीतर झाँक, वहीं तेरा ईश्वर है!” — यह संदेश बाउल संगीत की हर धुन में गूँजता है। पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश की सीमाओं में जन्मी बाउल संगीत परंपरा संगीत से ज़्यादा एक साधना है। यहाँ साधक-कलाकार गेरुए वस्त्र पहनकर, एकतारा लिए, गाँव-गाँव घूमते हैं और अपने गीतों से जीवन के गूढ़ सवालों […]
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